प्रोफेसर (वकालत की क्लास में): अगर तुम्हें
किसी को संतरा देना हो तो क्या बोलोगे?
पप्पू: यह संतरा लो।
प्रोफेसर: नहीं, एक वकील की तरह बोलो।
पप्पू: मैं एतद् द्वारा अपनी पूरी रुचि और
बिना किसी के दबाव में इस फल को,
जो संतरा कहलाता है, उसके छिलके, रस, गूदे और
बीज समेत धारक को देता हूं और साथ ही इस बात
का सम्पूर्ण अधिकार भी कि इसे लेने वाला इसे
काटने, छीलने, फ्रिज में रखने या खाने के लिए
पूरी तरह अधिकार रखेगा और साथ ही यह
भी अधिकार रखेगा कि इसे वह दूसरे को छिलके, रस,
गूदे और बीज के बिना या उसके साथ दे सकता है
और इसके बाद मेरा किसी भी प्रकार से इस संतरे से
कोई संबंध नहीं रह जाएगा।
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